कानूनी रूप से RTI में कितनी भी सूचना मांगी जा सकती है, बशर्ते:
- मांगी गई जानकारी स्पष्ट, विशिष्ट और संगठित ढंग से प्रस्तुत हो।
- सूचना किसी एक ही विभाग / प्राधिकरण से संबंधित हो।
- मांगी गई सूचना सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में आती हो।
लेकिन व्यवहारिक स्थिति में…
कई राज्य सूचना आयोगों और न्यायालयों ने यह स्पष्ट किया है कि:
“एक आवेदन में बहुत अधिक या बेतरतीब सूचनाएं मांगना, RTI के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है।”
इसलिए:
- एक आवेदन में 10-15 बिंदुओं तक की स्पष्ट सूचना सामान्यतः उचित मानी जाती है।
- यदि मांगी गई सूचना बहुत व्यापक है (जैसे: “पिछले 10 वर्षों का पूरा रिकॉर्ड दें”) तो PIO उसे अस्वीकार कर सकता है या सूचना टुकड़ों में देने को कह सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय और CIC के कुछ निर्देश:
- एक ही आवेदन में अनेक विषयों / विभागों / कार्यालयों से जुड़ी सूचनाएं नहीं मांगी जा सकतीं।
- RTI एक सूचना प्राप्त करने का अधिकार है, प्रश्न पूछने या परीक्षा लेने का माध्यम नहीं।
सुझाव:
- यदि सूचना बहुत अधिक है तो आप उसे भागों (Parts) में बांटकर अलग-अलग RTI आवेदन कर सकते हैं।
- उदाहरण:
- RTI Part-1: वर्ष 2020-21 का बजट और खर्च विवरण
- RTI Part-2: वर्ष 2021-22 का विवरण
1. सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय
मामला: Central Board of Secondary Education & Anr. vs. Aditya Bandopadhyay & Ors.
न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट
Civil Appeal No. 6454 of 2011
मुख्य बिंदु:
- RTI अधिनियम केवल वही सूचना देने के लिए बाध्य करता है जो पहले से रिकॉर्ड में हो।
- PIO (Public Information Officer) को ऐसी जानकारी तैयार करने, विश्लेषण करने, राय देने, या परिकल्पनात्मक (hypothetical) सवालों का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं है।
- आवेदन में मांगी गई सूचना यदि विभाग के पास उपलब्ध नहीं है, और उसे संकलित करने का कोई कानूनी दायित्व नहीं है, तो वह सूचना देने से इंकार किया जा सकता है।
- RTI का उद्देश्य “संपूर्ण सत्य जानना नहीं” बल्कि “उपलब्ध रिकॉर्ड तक पहुंच प्राप्त करना” है।
उद्धरण:
“RTI Act does not cast an obligation upon the public authority to collect or collate non-available information and then furnish it to an applicant… nor to give advice or interpretation.”
2. केन्द्रीय सूचना आयोग (CIC) का निर्देश
फाइल संख्या: CIC/SM/A/2013/000058
तारीख: 26 जून 2013
मामला: श्री मनोज आर्य बनाम कैबिनेट सचिवालय
निर्णय का सार:
- CIC ने स्पष्ट किया कि RTI का उपयोग परीक्षा लेने या अधिकारी से राय मांगने के लिए नहीं किया जा सकता।
- अत्यधिक और बेतरतीब तरीके से मांगी गई जानकारी, खासकर यदि वह विभिन्न विभागों या विषयों से जुड़ी हो, तो PIO उस पर उत्तर देने से इनकार कर सकता है।
- RTI आवेदन में मांगी गई जानकारी एक ही विषय या मुद्दे से संबंधित होनी चाहिए।