परिचय: राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956, भारतीय संसद द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण अधिनियम है जिसका उद्देश्य भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, रखरखाव और प्रबंधन करना है। यह अधिनियम केंद्र सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा करने और उनके प्रबंधन के लिए नियम और दिशानिर्देश बनाने का अधिकार देता है।
अधिनियम के मुख्य बिंदु:
1. राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा (धारा 2):
- केंद्र सरकार को किसी भी सड़क या राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का अधिकार है।
- यह घोषणा एक अधिसूचना के माध्यम से की जाती है।
- सरकार यह भी निर्दिष्ट कर सकती है कि किस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जाए।
2. राष्ट्रीय राजमार्गों का नियंत्रण (धारा 3):
- केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण, रखरखाव, प्रबंधन और संचालन के लिए भूमि का अधिग्रहण कर सकती है।
3. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया (धारा 3A – 3J):
- राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
- अधिग्रहण की प्रक्रिया में अधिसूचना का प्रकाशन, आपत्तियों की सुनवाई और मुआवजे का निर्धारण शामिल है।
4. राजमार्ग प्राधिकरण (धारा 4):
- राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए राजमार्ग प्राधिकरण नियुक्त किए जाते हैं।
- इन प्राधिकरणों के कार्यों और शक्तियों को अधिनियम में निर्दिष्ट किया गया है।
5. टोल संग्रह (धारा 7):
- केंद्र सरकार राजमार्गों के उपयोग के लिए शुल्क लगाने का अधिकार रखती है।
- इसमें पुल, सुरंग, या विशेष सुविधाओं से युक्त राजमार्गों का उपयोग शामिल है।
6. अतिक्रमण का निषेध (धारा 8):
- बिना अनुमति के राष्ट्रीय राजमार्गों पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण या निर्माण प्रतिबंधित है।
7. दंड (धारा 8A):
- अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है।
8. केंद्र सरकार की शक्तियाँ:
- अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए नियम और विनियम बनाने का अधिकार।
- विशेष खंडों को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करना या सूची से हटाने का अधिकार।
संशोधन और सुधार:
- इस अधिनियम में कई बार संशोधन किए गए हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया, मुआवजे के तरीके और टोल संग्रह के प्रावधानों में सुधार शामिल हैं।
- सबसे महत्वपूर्ण संशोधन 1997 में हुआ था, जिसमें भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और मुआवजे के तरीकों को सुव्यवस्थित किया गया।
- नवीनतम संशोधन में 2023 में राजमार्गों की सुरक्षा और यातायात प्रबंधन से संबंधित नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
महत्व:
- यह अधिनियम देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव में एकरूपता सुनिश्चित करता है।
- यह कुशल परिवहन नेटवर्क के निर्माण में सहायक है जो आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।
- यातायात प्रबंधन और टोल संग्रह के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करने का प्रावधान भी दिया गया है।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956, भारत में सड़क परिवहन के बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अधिनियम न केवल राजमार्गों के निर्माण और रखरखाव को सुनिश्चित करता है, बल्कि सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन को भी नियंत्रित करता है।