बैंकों पर लागू GST में बदलाव
(क) अनिवार्य मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA):
सभी करदाताओं, जिनमें बैंकिंग संस्थान भी शामिल हैं, को अब GST पोर्टल का उपयोग करते समय मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) को लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह उपाय संवेदनशील वित्तीय डेटा की सुरक्षा और अनधिकृत पहुँच को रोकने के लिए है।
(ख) ई-वे बिल प्रतिबंध:
अब ई-वे बिल केवल पिछले 180 दिनों के भीतर जारी की गई इनवॉइस के लिए ही जनरेट किए जा सकते हैं। इसके अलावा अधिकतम 360 दिनों तक की एक्सटेंशन दी जा सकती है। बैंकों को, विशेषकर जब वे सुरक्षित परिसंपत्तियों के परिवहन में शामिल होते हैं, इन नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा।
2. बैंकिंग क्षेत्र में बदलाव (1 अप्रैल 2025 से)
(क) न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकताओं में बदलाव:
एसबीआई (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), और केनरा बैंक (Canara Bank) सहित प्रमुख बैंकों ने अपने न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकताओं में संशोधन किया है। यह आवश्यकता अब खाते के स्थान (ग्रामीण, अर्ध-शहरी, या शहरी) के आधार पर भिन्न होगी। यदि आवश्यक न्यूनतम बैलेंस बनाए नहीं रखा जाता है, तो पेनल्टी लगाई जा सकती है। ग्राहक अपने संबंधित बैंकों से विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
(ख) पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) का कार्यान्वयन:
चेक धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों ने पॉजिटिव पे सिस्टम शुरू किया है। ₹50,000 से अधिक की चेक के लिए, खाताधारकों को चेक क्लियर करने से पहले बैंक को इलेक्ट्रॉनिकली चेक की जानकारी उपलब्ध करानी होगी। यह उपाय उच्च-मूल्य लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से है।
(ग) म्यूचुअल फंड और डिमैट अकाउंट के लिए KYC अनिवार्यता:
सभी म्यूचुअल फंड और डिमैट अकाउंट्स के लिए ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, नॉमिनी (उत्तराधिकारी) की जानकारी का पुनः सत्यापन भी अनिवार्य होगा। खाताधारकों को यह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करनी चाहिए ताकि उनके खाते में किसी प्रकार का अवरोध न हो।
3. GST और बैंकिंग में ये बड़े बदलाव क्यों किए गए हैं?
ये बदलाव वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने, टैक्स अनुपालन को सरल बनाने और बैंकिंग संचालन में सुधार के उद्देश्य से किए गए हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी बैंक ग्राहक और व्यापारी इन नए नियमों को समझें और समय पर पालन करें।