Ghasiram patra Lic Advisor
हमारे जीवन में कई बार ऐसा होता है जब हम किसी काम को करना चाहते हैं, लेकिन खुद को उस काम के लिए सक्षम नहीं मानते। हम सोचते हैं कि वह कार्य हमारे लिए संभव नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि असंभव और संभव में फर्क क्या है? क्या यह वाकई में इतना बड़ा फर्क है, या यह सिर्फ हमारी सोच और मेहनत पर निर्भर करता है?
संभव और असंभव का मतलब क्या है?
- संभव (Possible): वो कार्य जिसे किया जा सकता है, जिसे हासिल किया जा सकता है।
- असंभव (Impossible): वो कार्य जिसे करने में हमें कठिनाई महसूस होती है, या जिसे हम हासिल नहीं कर पाते।
दोनों के बीच का अंतर सिर्फ हमारी सोच और मेहनत पर आधारित होता है। अगर हम सोचते हैं कि कोई कार्य कठिन है, तो हम उसे करने का प्रयास ही नहीं करते। लेकिन यदि हमारी सोच सकारात्मक है और हम मेहनत करने के लिए तैयार हैं, तो वही कठिन कार्य भी संभव हो जाता है।
सोच का महत्व
सोच ही वह शक्ति है जो किसी भी कार्य को आसान या मुश्किल बना सकती है। अगर आपकी सोच सकारात्मक है, तो आप किसी भी कार्य को करने के लिए रास्ते खोजने लगते हैं। वहीं नकारात्मक सोच आपको रास्ते से भटकाती है और कार्य को कठिन बना देती है।
उदाहरण के लिए:
- एक किसान जो बंजर जमीन में फसल उगाने की सोचता है, उसकी मेहनत और सकारात्मक सोच ही उसे सफलता तक पहुँचाती है।
- महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन ने हजारों बार असफल होने के बाद भी बल्ब का आविष्कार किया। अगर उनकी सोच नकारात्मक होती, तो वह कब का प्रयास छोड़ चुके होते।
मेहनत की भूमिका
सिर्फ सकारात्मक सोच होना ही पर्याप्त नहीं है। मेहनत भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यदि आप सोचते हैं कि आप एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं, लेकिन मेहनत नहीं करते, तो यह एक असंभव सपना ही रह जाएगा।
- मेहनत एक बीज की तरह होती है, जिसे आप अपनी सोच के पानी से सींचते हैं। जब मेहनत और सोच का संगम होता है, तब सफलता का पौधा पनपता है।
- महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का उदाहरण लें। उनकी सोच हमेशा अपने खेल को बेहतर बनाने की होती थी, लेकिन इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत भी की।
संभव और असंभव का फर्क: आपकी सोच और मेहनत
जैसा कि इस चित्र में लिखा गया है:
“क्या संभव है और क्या असंभव है, इन दोनों का फर्क सिर्फ आपकी सोच और मेहनत पर निर्भर करता है।”
यह पंक्ति बहुत गहरा संदेश देती है। इसका अर्थ है कि हम जो भी हासिल करना चाहते हैं, वह सिर्फ हमारी सोच और मेहनत पर निर्भर करता है। अगर आप किसी काम को असंभव मान लेते हैं, तो वह सचमुच असंभव हो जाता है। लेकिन अगर आप उसे संभव मानते हैं और मेहनत करते हैं, तो कोई भी कार्य कठिन नहीं होता।
कैसे बदलें अपनी सोच और मेहनत को?
- नकारात्मक सोच को हटाएं: हमेशा सकारात्मक सोचें और खुद पर विश्वास रखें।
- लक्ष्य तय करें: अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से निर्धारित करें और उसे पाने के लिए योजना बनाएं।
- लगातार मेहनत करें: एक बार योजना बना लेने के बाद, उसे पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करें।
- सीखते रहें: असफलताओं से सीखें और उन्हें सफलता की सीढ़ी बनाएं।
- धैर्य रखें: किसी भी बड़े लक्ष्य को पाने में समय लगता है। धैर्य रखें और मेहनत करते रहें।
संभव और असंभव में फर्क सिर्फ आपकी सोच और मेहनत पर निर्भर करता है। अगर आपकी सोच सकारात्मक है और आप मेहनत करने के लिए तैयार हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। हर व्यक्ति में कुछ विशेष करने की क्षमता होती है, बस उसे पहचानने और सही दिशा में मेहनत करने की आवश्यकता होती है।
“स्वस्थ रहो, खुश रहो, और हर दिन को एक नए अवसर की तरह देखो।”