छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था– डिजिटल शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा

छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था– डिजिटल शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा


छत्तीसगढ़ में शिक्षा: बदलाव की ओर एक सशक्त यात्रा

छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था: एक परिचय

छत्तीसगढ़, एक ऐसा राज्य जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टि से समृद्ध है, वहां की शिक्षा व्यवस्था भी समय के साथ बदल रही है। राज्य सरकार लगातार इस प्रयास में है कि शिक्षा गांव से लेकर शहर तक, हर वर्ग के बच्चे तक पहुंचे—चाहे वह आदिवासी बच्चा हो या शहर के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाला छात्र।

सरकारी स्कूलों की दशा पहले चिंता का विषय हुआ करती थी, लेकिन अब वहां बिल्डिंग, शौचालय, मिड-डे मील, यूनिफॉर्म, पुस्तकें और अब डिजिटल क्लास जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। लेकिन सुधार की गुंजाइश अभी भी बाकी है, खासकर गुणवत्ता और अध्यापन के स्तर पर।


डिजिटल शिक्षा: नई दिशा, नई चुनौती

कोविड-19 के बाद डिजिटल शिक्षा ने रफ्तार पकड़ी, और सरकार ने भी यह समझा कि ऑनलाइन लर्निंग अब शिक्षा का हिस्सा बन चुकी है। छत्तीसगढ़ में अब स्मार्ट क्लासरूम, ऑनलाइन असाइनमेंट, और डिजिटल लाइब्रेरी जैसे नवाचारों की शुरुआत हो रही है।

फायदे:

  • कहीं से भी पढ़ाई संभव
  • इंटरैक्टिव लर्निंग
  • वर्चुअल प्रयोगशालाएं

चुनौतियाँ:

  • इंटरनेट की सीमित पहुंच
  • मोबाइल या टैबलेट की अनुपलब्धता
  • ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल जागरूकता की कमी

सरकार की कोशिश है कि हर स्कूल तक हाई-स्पीड इंटरनेट और डिजिटल डिवाइस पहुंचे, लेकिन ज़मीन पर इसे लागू करना अब भी कठिन कार्य है।


ग्रामीण शिक्षा: आत्मनिर्भर गाँव की बुनियाद

ग्रामीण छत्तीसगढ़ में शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं:

  • पढ़ई तुंहर दुआर योजना
  • शिक्षक ऑन कॉल
  • स्कूल चलो अभियान

आज भी कई गाँव ऐसे हैं जहाँ स्कूल भवन तो है, पर शिक्षक नहीं। कहीं शिक्षक हैं, तो छात्र नहीं आते। सरकार को इन मूलभूत मुद्दों पर गहराई से कार्य करना होगा।


परीक्षा तनाव: बच्चों की मुस्कान छीन न ले!

मार्च का महीना आते ही बच्चों पर बोर्ड परीक्षाओं का दबाव बढ़ जाता है। माता-पिता की उम्मीदें, समाज का डर, और स्वयं की असफलता का भय बच्चों को मानसिक रूप से तोड़ देता है।

तनाव कम करने के उपाय:

  • सकारात्मक संवाद
  • ब्रेक के साथ पढ़ाई
  • मनोरंजन और व्यायाम
  • “अंक नहीं, प्रयास मायने रखता है” जैसी सोच अपनाना

शिक्षकों और अभिभावकों को यह समझना होगा कि बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही ज़रूरी है जितना उनका रिज़ल्ट।


निजी स्कूलों की फीस: एक बोझ या व्यापार?

हर नया सत्र निजी स्कूलों की फीस वृद्धि की खबर लाता है। किताबें, यूनिफॉर्म, ट्रांसपोर्ट—हर चीज़ में मनमाने दाम वसूले जाते हैं। इससे मध्यमवर्गीय परिवार परेशान हैं।

समाधान:

  • सरकार द्वारा नियामक संस्था की निगरानी
  • पारदर्शिता अनिवार्य करना
  • ऑनलाइन शिकायत पोर्टल
  • आरटीई के तहत गरीब बच्चों को भी समान अवसर

रोजगार उन्मुख शिक्षा: सिर्फ डिग्री नहीं, दक्षता भी चाहिए

आज के दौर में सिर्फ BA, B.Com या B.Sc की डिग्री से नौकरी नहीं मिलती। युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक कोर्स की ज़रूरत है।

प्रमुख स्किल कोर्स:

  • डिजिटल मार्केटिंग
  • डेटा एनालिटिक्स
  • टूरिज्म एंड ट्रैवल
  • एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी
  • मोबाइल ऐप डेवलपमेंट

छत्तीसगढ़ में विश्वविद्यालय अब स्किल डिवेलपमेंट सेंटर खोल रहे हैं, जो छात्रों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हो रही है, लेकिन सफर अभी अधूरा है। शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि बच्चों को जीवन जीने का तरीका सिखाए, उन्हें आत्मनिर्भर बनाए—यही सच्ची शिक्षा है। सरकार, शिक्षक, अभिभावक और समाज जब मिलकर काम करेंगे, तब शिक्षा सच में हर कोने तक पहुंचेगी।


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