1. RTI के तहत कौन-कौन से दस्तावेज / सूचना मिल सकती है?
RTI अधिनियम की धारा 2(j) के अनुसार, कोई भी नागरिक निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त कर सकता है:
a. सूचनाओं के प्रकार:
- नोटिंग, फाइलों का निरीक्षण
- सरकारी आदेश / निर्देश / निर्णय
- प्रशासकीय कार्यों की जानकारी
- सरकारी योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट
- टेंडर, कॉन्ट्रैक्ट, एग्रीमेंट की प्रतिलिपियाँ
- बजट एवं व्यय विवरण
- भर्ती / नियुक्ति प्रक्रियाओं की जानकारी
- ट्रांसफर / प्रमोशन संबंधित विवरण
- रिपोर्ट्स, रिकॉर्ड्स, फाइल नोटिंग्स, सर्कुलर, प्रैस विज्ञप्ति
- किसी काम के टेंडर अलॉटमेंट की जानकारी
- सरकारी कर्मचारी की सर्विस बुक की जानकारी (कुछ हद तक)
- इलेक्ट्रॉनिक रूप में फाइल की गई सूचनाएं (CD/DVD, printouts)
आप किसी भी Public Authority (जैसे – पंचायत, स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर, थाना, ब्लॉक ऑफिस, निगम आदि) से उनकी कार्यप्रणाली, फंड उपयोग, निर्णय प्रक्रिया आदि से जुड़ी जानकारी मांग सकते हैं।
2. कौन सी सूचना RTI के तहत नहीं दी जा सकती (Denial of Information)?
RTI की धारा 8 (Section 8) और धारा 9 के अंतर्गत कुछ सूचनाएं exempted हैं यानी इन्हें देने से इंकार किया जा सकता है:
a. जिन्हें देने से मना किया जा सकता है:
- राष्ट्रीय सुरक्षा / संप्रभुता / विदेशी संबंधों से जुड़ी सूचनाएं
- न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने वाली जानकारी
- संसदीय / विधानसभा विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएं
- व्यक्तिगत जीवन / गोपनीयता से जुड़ी सूचना
(जैसे – मेडिकल रिपोर्ट, सैलरी स्लिप, बैंक डिटेल्स – जब तक जनहित में जरूरी न हो) - व्यापारिक / व्यावसायिक गोपनीयता, व्यापार रहस्य या बौद्धिक संपदा (IPR)
- RTI के तहत कोई सूचना देना किसी अन्य कानून के अंतर्गत निषिद्ध हो
- किसी जांच या अपराध की विवेचना से जुड़ी गोपनीय जानकारी
- ऐसी जानकारी जिससे किसी की जान या सुरक्षा को खतरा हो सकता है
b. Public Interest में Override:
धारा 8(2) के अनुसार यदि जनहित (Public Interest) किसी सूचना को देने की मांग करता है और उससे किसी नुकसान की भरपाई हो सकती है, तो उस सूचना को जारी किया जा सकता है।
3. मना करने की प्रक्रिया:
यदि सूचना को देने से मना किया जाता है, तो:
- आपको लिखित रूप में कारण बताया जाएगा।
- आपको यह भी बताया जाएगा कि आप किस अधिकारी के पास अपील कर सकते हैं और अपील की समय-सीमा क्या है (30 दिन के भीतर)।
RTI अधिनियम, 2005 की धारा 8 और 9 के अंतर्गत सूचना न दिए जाने योग्य मामलों (Exemptions from Disclosure) की शब्दशः जानकारी दी जा रही है, जैसा कि सरकारी दस्तावेज़ में वर्णित है:
धारा 8 – कुछ सूचनाओं का प्रकटीकरण न किया जाना
धारा 8(1): निम्नलिखित सूचनाओं को किसी भी नागरिक को प्रदान नहीं किया जाएगा:
(क) ऐसी सूचना, जिससे भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों से संबंध, लोक व्यवस्था, या अपराध की रोकथाम, जांच या अभियोजन को हानि पहुँच सकती हो।
(ख) ऐसी सूचना, जिसे किसी न्यायालय या न्यायाधिकरण ने प्रकटीकरण से मना किया हो।
(ग) ऐसी सूचना, जिससे संसद या राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार का उल्लंघन होता हो।
(घ) ऐसी वाणिज्यिक गोपनीय जानकारी, व्यापार रहस्य या बौद्धिक संपदा, जिससे किसी तीसरे पक्ष के हित को क्षति पहुँचती हो, जब तक कि जनहित इसके प्रकटीकरण को अनिवार्य न बनाता हो।
(ङ) ऐसी जानकारी, जो विश्वास में दी गई हो और जिसके प्रकटीकरण से विश्वास देने वाले को क्षति हो सकती हो।
(च) ऐसी जानकारी, जिससे किसी व्यक्ति की निजता (privacy) का उल्लंघन हो सकता हो, जब तक कि जनहित उसमें निहित न हो।
(छ) ऐसी सूचना, जो किसी जांच, जांच-पड़ताल, गिरफ्तारी या अभियोजन की प्रक्रिया में विघ्न डाल सकती हो।
(ज) केन्द्र या राज्य के मंत्रियों की परिषद, अधिकारियों के परामर्श, राय या निर्णय, जो निर्णय लिए जाने से पूर्व लिए गए हों।
(झ) ऐसी जानकारी, जिससे किसी व्यक्ति की जान या शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता हो, या सूचना देने वाले की पहचान उजागर हो सकती हो।
(ञ) ऐसी सूचना, जिसे प्राप्त करना निषिद्ध किया गया हो।
धारा 8(2): जनहित का प्रावधान
“यद्यपि उपधारा (1) में कुछ सूचनाओं को छूट दी गई है, फिर भी यदि जनहित (public interest) का महत्व उस नुकसान से अधिक है, जो सूचना देने से हो सकता है, तो ऐसी सूचना प्रदान की जा सकती है।”
धारा 9 – अन्य कानूनों से वर्जित सूचना
यदि किसी सूचना का प्रकटीकरण, किसी और वर्तमान विधि द्वारा निषिद्ध है, तो ऐसी सूचना नहीं दी जा सकती।
सारांश में – सूचना नहीं दी जा सकती यदि:
- देश की सुरक्षा या अखंडता को खतरा हो
- न्यायिक आदेश से मना किया गया हो
- व्यक्तिगत जीवन की गोपनीयता हो
- जांच / अभियोजन में बाधा आती हो
- व्यापारिक गोपनीयता हो
- किसी और कानून द्वारा वर्जित हो