जीवन में कई बार हम अपने रोजमर्रा के कार्यों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि यह भूल जाते हैं कि इंसान होने का असली अर्थ क्या है। यह समझना बहुत जरूरी है कि क्या हमारा जीवन केवल खाने, सोने, बच्चे पैदा करने और मर जाने तक ही सीमित है या फिर इसमें कुछ और भी गहराई है। इस प्रश्न का उत्तर हमें महान दार्शनिक और अध्यात्मिक गुरु गौतम बुद्ध के एक प्रसिद्ध कथन में मिलता है।
गौतम बुद्ध का कथन:
“खाना, सोना, बच्चे पैदा करना और मर जाना ये गुण तो जानवर के भी हैं। मनुष्य बनने के लिए तर्क, बुद्धि और सामाजिक लक्ष्य जरूरी है।”
इस कथन का अर्थ
गौतम बुद्ध का यह कथन गहरे अर्थ को प्रकट करता है। वह यह समझाना चाहते हैं कि यदि इंसान का जीवन केवल मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने तक सीमित है, तो वह किसी भी अन्य जीव से भिन्न नहीं है। पशु भी खाते हैं, सोते हैं, प्रजनन करते हैं और अंततः मर जाते हैं। यदि मनुष्य भी केवल इन्हीं क्रियाओं तक सीमित रहे, तो उसमें और जानवर में कोई विशेष अंतर नहीं रह जाता।
कहानी: एक युवा साधक की यात्रा
राजन नाम का एक युवा था जो जीवन में सही मार्ग की खोज में था। वह हमेशा इस सवाल से जूझता था कि उसका जीवन का उद्देश्य क्या है? क्या सिर्फ़ खाना, सोना, परिवार बढ़ाना और अंत में मर जाना ही जीवन का मतलब है?
राजन को इस सवाल का उत्तर किसी से नहीं मिला। वह अपने गाँव के बुजुर्गों से पूछता, किताबें पढ़ता, मंदिर जाता, परंतु हर जगह उसे केवल वही बातें सुनाई देतीं कि “खुश रहो, परिवार बनाओ, और सम्मान के साथ मरो।” लेकिन राजन इससे संतुष्ट नहीं था।
एक दिन, राजन को पता चला कि पास के जंगल में एक महान साधु गौतम बुद्ध का अनुयायी तपस्या कर रहा है। राजन ने सोचा कि शायद वह साधु उसके सवाल का उत्तर दे सके। वह तुरंत जंगल की ओर चल पड़ा।
वहाँ पहुँचने के बाद, राजन ने उस साधु से अपना प्रश्न पूछा, “मुझे यह जानना है कि मनुष्य बनने का असली अर्थ क्या है? क्या सिर्फ़ जीवन जीना, खाना, सोना और मर जाना ही पर्याप्त है?”
साधु मुस्कराए और राजन को एक पहाड़ी की ओर ले गए। वहाँ से दूर-दूर तक जंगल का दृश्य दिखाई देता था। साधु ने कहा, “यहाँ देखो, ये सारे जानवर देख रहे हो? वे सब जी रहे हैं, भोजन ढूंढ रहे हैं, सो रहे हैं, प्रजनन कर रहे हैं और मर रहे हैं। अगर तुम्हारा जीवन भी सिर्फ़ इन्हीं कामों तक सीमित है, तो तुम्हारा क्या अंतर हुआ उनसे?”
राजन चुपचाप सुनता रहा। साधु ने आगे कहा, “मनुष्य बनने के लिए तुम्हें अपनी तर्क शक्ति, बुद्धि और सामाजिक दायित्वों का उपयोग करना होगा। यह देखना होगा कि तुम्हारा जीवन केवल तुम्हारे लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए भी उपयोगी हो। तुम्हारे विचार, कर्म और लक्ष्य समाज के हित के लिए होने चाहिए।”
संदेश का महत्व
गौतम बुद्ध का यह संदेश हमें यह समझाता है कि मनुष्य का अस्तित्व केवल व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए। हमारे पास जो तर्क, बुद्धि और सामाजिक समझ है, वह हमें जानवरों से अलग बनाती है। यदि हम केवल खुद के लिए जीते हैं, तो हम अपने अस्तित्व के असली अर्थ को खो देते हैं।
मनुष्य बनने का असली अर्थ अपने भीतर की क्षमताओं को पहचानना, उन्हें विकसित करना और समाज के हित में उनका उपयोग करना है। यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारा जीवन केवल स्वयं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और पूरी मानवता के लिए भी है।
गौतम बुद्ध का यह संदेश हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन को ऊँचाईयों तक ले जाएँ और केवल जीवित रहने की बजाय एक सार्थक जीवन जिएं।