एक प्रेरक किसान की कहानी: मिट्टी से सोना उगाने वाला ही असली भारत है


“धरती से जुड़ा इंसान कभी हार नहीं मानता।” यह कहावत तब सच लगती है जब हम एक ऐसे किसान की कहानी सुनते हैं जिसने जीवन की तमाम कठिनाइयों को सहा, पर कभी झुका नहीं।

भूमिका: खेत नहीं सिर्फ अनाज नहीं उगाते, उम्मीदें भी उगती हैं

भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन आज भी किसानों की स्थिति कई क्षेत्रों में चिंताजनक है। गरीबी, ऋण, बदलता मौसम, और बाज़ार की अस्थिरता — ये सभी चुनौतियाँ उनके सामने दीवार बनकर खड़ी रहती हैं। लेकिन फिर भी कुछ किसान ऐसे होते हैं जो अपनी मेहनत, दूरदृष्टि और आत्मबल से इन दीवारों को तोड़कर मिसाल बन जाते हैं।

यह कहानी है राजू राम नेताम की — एक छोटे से गांव छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के आदिवासी किसान की, जिसने अपने जीवन को संघर्ष से सफलता तक पहुंचाया।


शुरुआत: जब खेत में सिर्फ सूखा बोया गया था

राजू राम का बचपन गरीबी में बीता। पांच एकड़ की पुश्तैनी ज़मीन थी, लेकिन सिंचाई की सुविधा नहीं थी। परिवार बड़ा, खर्च ज़्यादा, और आमदनी नाममात्र की। स्कूल की पढ़ाई छूट गई, और किशोरावस्था में ही हल थाम लिया।

संकटों की फसलें:

  • बारिश पर निर्भर खेती
  • बाज़ार में दलालों का बोलबाला
  • फसल के बदले भी घाटा
  • कर्ज और महाजन का दबाव

मोड़: ज्ञान और जिद ने रास्ता दिखाया

2012 में एक कृषि मेले में राजू राम ने “सेंद्रिय खेती” (Organic Farming) और “मल्टी क्रॉपिंग सिस्टम” के बारे में सीखा। पहले गाँव में लोगों ने मजाक उड़ाया — “गोबर से कोई अमीर बना है क्या?” लेकिन राजू ने न सोचा, न रुका।

कदम उठाए:

  • रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग
  • खेतों के चारों ओर नीम, सहजन, और सब्ज़ियों की मेडबंदी
  • दो एकड़ में ड्रिप सिंचाई योजना लगवाई
  • गायों की देखभाल शुरू की ताकि गोबर-गोमूत्र से जैविक खाद मिले

परिणाम: खेती से क्रांति

5 साल में ही उसके खेतों ने रंग बदल दिया। अब वहां एक साथ धान, सब्जियाँ, फल, और औषधीय पौधे उगते हैं। उसने अपनी ही मार्केटिंग यूनिट खड़ी की — “नेताम ऑर्गेनिक फार्म” के नाम से।

उपलब्धियाँ:

  • हर साल 7-8 लाख रुपये की शुद्ध आय
  • 10 गांवों के 50 किसानों को प्रशिक्षण
  • जिला स्तर पर कृषि सम्मान
  • बेटी की पढ़ाई शहर के अच्छे स्कूल में

समाज को संदेश:

राजू राम आज सिर्फ एक किसान नहीं है — वो एक आदर्श है, एक मार्गदर्शक है। वो कहते हैं —

“खेती कोई मजबूरी नहीं, ये सबसे बड़ा रोजगार है, अगर आप दिल से इसे अपनाओ।”


कविता – खेतों का मसीहा

हल की मूठ पकड़े हाथ, ना पूछो किस हाल में हैं,
पर जोतते हैं सपने भी, वो मिट्टी के लाल हैं।

हर बूँद में जीवन खोजे, हर बीज में आस,
जो किसान नहीं समझे, वो जीवन से निराश

इस प्रेरक किसान की कहानी हमें ये सिखाती है कि यदि इरादा मजबूत हो, तो संसाधनों की कमी भी रोड़ा नहीं बनती। खेती सिर्फ भोजन नहीं, एक सोच है — आत्मनिर्भरता की, समाज सेवा की और प्रकृति के साथ सामंजस्य की।

अगर हर गांव में एक राजू राम हो जाए, तो भारत की खेती क्रांति खुद-ब-खुद हो जाएगी।


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