“हम भूल जाते हैं कि ज़िंदगी कमल की है”


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हम सभी किसी न किसी संघर्ष, उलझन, दुख और दर्द से गुजरते हैं। कई बार हम इतने उलझ जाते हैं जीवन की समस्याओं में कि भूल जाते हैं कि ज़िंदगी अपने आप में कितनी सुंदर, गहराई से सीख देने वाली और खिलते कमल की तरह दिव्य है। “हम भूल जाते हैं कि ज़िंदगी कमल की है” – यह वाक्य केवल शब्द नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है जो हमें बताता है कि कीचड़ से उठकर भी ज़िंदगी कितनी खूबसूरत बन सकती है।


🌿 ज़िंदगी और कीचड़

कमल की खूबसूरती की वजह उसका रंग या आकार नहीं है, बल्कि वो कीचड़ से उगकर भी सुंदरता, पवित्रता और शांति का प्रतीक बनता है। ठीक वैसे ही हमारी ज़िंदगी में भी दुख, कठिनाइयाँ और समस्याएं आती हैं। लेकिन इन्हीं परिस्थितियों से उभरकर जो इंसान अपने भीतर की अच्छाई, साहस और मुस्कान को जीवित रखता है, वही असली ‘कमल’ होता है।

“जिसने कीचड़ को देखा है, वही कमल की असल खूबसूरती समझ सकता है।”


🕊️ हम क्या भूल जाते हैं?

  1. हम भूल जाते हैं कि दुःख भी विकास का हिस्सा है।
    हर आंसू, हर चोट हमें कुछ सिखाती है। लेकिन जब हम केवल दुख में डूब जाते हैं, तो ज़िंदगी का मकसद ही भूल जाते हैं।
  2. हम भूल जाते हैं कि हर रात के बाद सुबह होती है।
    परेशानियाँ स्थायी नहीं होतीं। लेकिन कई बार हम उम्मीद ही छोड़ देते हैं।
  3. हम भूल जाते हैं कि हमारे अंदर बदलाव की शक्ति है।
    दूसरों को दोष देना आसान होता है, लेकिन खुद को बदलना ही असली परिवर्तन लाता है।
  4. हम भूल जाते हैं कि ज़िंदगी एक यात्रा है, मंज़िल नहीं।
    हमें हर पल का आनंद लेना चाहिए, क्योंकि यही पल आगे चलकर यादें बनते हैं।

🌼 ज़िंदगी कमल क्यों है?

  • कमल की तरह ज़िंदगी भी सुंदरता और संघर्ष का संगम है।
    हम सब अपने-अपने संघर्षों के बीच जीते हैं, लेकिन फिर भी अगर हम मुस्कराते हैं, तो हम कमल हैं।
  • कमल कभी भी कीचड़ को दोष नहीं देता, वह उसमें खिलता है।
    इसी तरह, हमें अपने हालातों को दोष देने के बजाय, उनसे ऊपर उठना सीखना चाहिए।
  • कमल सूरज की ओर देखता है, हम भी उम्मीद और रोशनी की ओर देखें।

✨ एक प्रेरणादायक कहानी

एक साधु थे, जिनके पास एक शिष्य हर समय शिकायत करता था – “मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?”
एक दिन साधु उसे एक कमल के तालाब के पास ले गए और कहा, “क्या तुम देख सकते हो ये कमल? यह गंदगी में है, लेकिन इसका रंग, इसकी खुशबू, सब कितना पवित्र है।”
फिर बोले – “अगर ये कमल सोचता कि ‘मैं गंदगी में हूं, मैं क्या खिला फूल हूं’, तो क्या ये इतनी सुंदरता बिखेर पाता?”

शिष्य की आंखें खुल गईं।


🌈 हम क्या कर सकते हैं?

  1. अपने जीवन की परिस्थितियों को स्वीकार करें।
    यह मानना कि जीवन में संघर्ष होगा, हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।
  2. ध्यान और आत्मचिंतन करें।
    रोज़ कुछ पल खुद से जुड़िए, शांति पाइए।
  3. कृतज्ञता का अभ्यास करें।
    जो है, उसके लिए आभार प्रकट करें। तब ही हम और अधिक पा सकते हैं।
  4. दूसरों की मदद करें।
    कमल सिर्फ अपने लिए नहीं खिलता, वह देखने वाले को भी शांति देता है। वैसे ही आपकी मुस्कान और मदद किसी की दुनिया बदल सकती है।

📜 कुछ भावपूर्ण पंक्तियाँ

“कमल की तरह जीना है तो कीचड़ से डरना कैसा,
कांटे भी होंगे राह में, तो चलना है थामा हुआ विश्वास।”

“ज़िंदगी एक कमल है, कीचड़ भरा मगर फिर भी प्यारा,
जिसने देखी इसकी सच्चाई, वही समझा इसका सहारा।”


☀️ ज़िंदगी को फिर से देखना सीखें

हम सबको कभी न कभी रुककर यह सोचने की ज़रूरत है कि हम कहाँ जा रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम समस्याओं में इस कदर उलझ गए हैं कि ज़िंदगी की खूबसूरती को ही भूल गए?

याद रखिए —

“ज़िंदगी कमल की तरह है – अगर आप सीख जाएं कीचड़ में मुस्कराना, तो आप हर परिस्थिति में खिल सकते हैं।”


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