विश्व पृथ्वी दिवस 2025: अब नहीं संभले तो कब?
“धरती हमारी मां है, इसकी रक्षा करना हमारा धर्म है।”
हर साल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस (World Earth Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम केवल इस ग्रह के निवासी नहीं हैं, बल्कि इसके रक्षक भी हैं। वर्ष 2025 का यह पृथ्वी दिवस पहले से कहीं अधिक गंभीर और चिंतनशील है, क्योंकि अब पृथ्वी बचाने का समय सीमित होता जा रहा है।
पृथ्वी दिवस का इतिहास: कैसे शुरू हुआ आंदोलन
विश्व पृथ्वी दिवस की शुरुआत वर्ष 1970 में अमेरिका में हुई थी। तत्कालीन सीनेटर Gaylord Nelson ने पर्यावरणीय चेतना को बढ़ावा देने के लिए यह दिन प्रस्तावित किया। पहले ही वर्ष, 20 मिलियन से अधिक अमेरिकियों ने सड़कों पर उतरकर पर्यावरण रक्षा की मांग की। इसके बाद से यह आंदोलन वैश्विक होता गया, और आज 190 से अधिक देशों में यह दिन मनाया जाता है।
2025 की थीम: “Planet vs. Plastics”
इस वर्ष की थीम है: “Planet vs. Plastics”, यानी प्लास्टिक के खिलाफ पृथ्वी का युद्ध। यह थीम हमें प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता और इसके समाधान की आवश्यकता पर केंद्रित करती है। विश्व पृथ्वी दिवस संगठन ने 2040 तक 90% प्लास्टिक उत्पादन में कटौती का लक्ष्य रखा है।
प्लास्टिक प्रदूषण: धीमा ज़हर
- प्रतिवर्ष 30 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से अधिकांश रिसाइकल नहीं होता।
- प्लास्टिक के सूक्ष्म कण (microplastics) अब हमारे शरीर, रक्त, यहां तक कि नवजात बच्चों के अंदर भी पाए जा रहे हैं।
- समुद्र, नदियां, पशु-पक्षी — सब प्लास्टिक से प्रभावित हो रहे हैं।
धरती पर मंडराते संकट: सिर्फ प्लास्टिक ही नहीं
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
तापमान में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, सूखा और बाढ़ — सब मिलकर जीवन को संकट में डाल रहे हैं। - जैव विविधता में गिरावट (Loss of Biodiversity)
हर साल हजारों प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा, तो पारिस्थितिकी तंत्र चरमरा जाएगा। - वनों की कटाई (Deforestation)
ऑक्सीजन के कारखाने – हमारे जंगल – तेजी से कम हो रहे हैं। नतीजा – वायु प्रदूषण और असंतुलित पर्यावरण। - जल संकट
पीने योग्य जल का स्तर गिरता जा रहा है। कई गांव और शहर पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
क्या करें हम? समाधान हमारे पास है
1. प्लास्टिक त्यागें, वैकल्पिक अपनाएं
- कपड़े या जूट के बैग प्रयोग करें
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक बंद करें
- स्टील/कांच की बोतलें और बर्तन इस्तेमाल करें
2. वृक्षारोपण करें
- हर व्यक्ति साल में कम से कम 5 पेड़ लगाए
- जन्मदिन, शादी या अन्य खुशी के मौकों पर पौधे भेंट करें
3. जल संरक्षण
- नलों को खुला न छोड़ें
- वर्षा जल संचयन अपनाएं
- टपक सिंचाई जैसी तकनीकें अपनाएं
4. सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दें
- घरों में सोलर पैनल लगवाएं
- सरकार की PM-KUSUM योजना जैसी योजनाओं का लाभ लें
5. बच्चों को पर्यावरण सिखाएं
- स्कूलों में “ग्रीन क्लब” बनाएं
- बच्चों को प्रकृति से जोड़ने वाले कार्य जैसे बागवानी, नदी सफाई, पक्षी दर्शन आदि में शामिल करें
भारत की भूमिका: जनसंख्या में पहला, जिम्मेदारी में भी पहला बनें
भारत, विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यदि यहां 140 करोड़ लोग प्रतिदिन एक सकारात्मक बदलाव करें, तो पूरी दुनिया की पर्यावरणीय तस्वीर बदल सकती है।
सरकारें योजनाएं बनाती हैं, लेकिन सच्चा परिवर्तन तब आएगा जब जनता जागेगी।
एक मार्मिक कविता – “धरती पुकारती है”
मैं धरती हूं, मां हूं तुम्हारी,
क्यों कर रहे हो हत्या मेरी सारी?
हर पेड़ जो काटा, हर नदी जो गंदी की,
हर सांस में घुली है अब स्याही सी।
तुम्हारे बच्चों का क्या होगा कल,
जब न होंगी छांवें, न बहता जल?
जागो मेरे बच्चों, संभालो ये राहें,
वरना इतिहास नहीं, विलाप गाएगा गाथाएं।
सिर्फ 1 दिन नहीं, हर दिन पृथ्वी दिवस हो
विश्व पृथ्वी दिवस हमें एक दिन की चेतावनी नहीं देता, बल्कि यह हमारे जीने की शैली को बदलने की पुकार है।
अब समय आ गया है कि हम केवल “पृथ्वी बचाओ” के नारे न लगाएं, बल्कि अपने जीवन में सच्चे बदलाव करें।
हम जो आज करेंगे, वही हमारे बच्चों की ज़मीन, जल और आकाश को तय करेगा।
“एक कदम आप बढ़ाएं, एक पौधा आप लगाएं,
तो पृथ्वी मुस्कराएगी, और जीवन मुस्कान पाएगा।”